मध्यप्रदेश शासन द्वारा जमीन के बंटवारे की व्यवस्था, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता की धारा 178 के तहत की गई है। Jamin ka batwara kaise kare इसके बारे में जानने की जरूरत आये दिनों किसानों को पड़ती है किन्तु हमारे बहुत से किसान बंधुओं को इसकी जानकारी बहुत कम होती है। जिस्से लोग तहसीलों के चक्कर लगाते रहते हैं। इस लेख के माध्यम से आपको आज बंटवारा से संबंधित जानकारी प्राप्त होगी। जमीन का बंटवारा कैसे होता है मध्यप्रदेश शासन ने इसके लिए क्या व्यवस्था की है या भाई-भाई का बंटवारा कैसे होता है इसकी जानकारी इस लेख से प्राप्त होगी ।

जमीन के बंटवारे से लाभ
जमीन का बंटवारा हो जाने से आपका नाम किसान सूचि में जुड़ जाता है।
किसानों के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त होने लगता है।
जमीन के खाते छोटे हो जाने से आपके परिवार को अन्य योजनाओं हेतु आप पात्र हो जाते है।
आपके नाम पर जमीन होने से आप उस पर लोन ले सकते हैं।
शासन की योजना में जो लाभ आपके घर के एक सदस्य को मिल रहा था वह बाद में भूमि प्राप्त करने वाले सदस्य को भी मिलेगा।
जमीन का बंटवारा कैसे होता है।
जमीन का बंटवारा कैसे होता है इसके लिए यह जानना आवश्यक है कि आपको जमीन का बंटवारा कैसे करवाना है। इसके बहुत से प्रकार होते हैं जिसको हम अलग-अलग समझेंगे। जैसे किसी को पिता के जीते हुए जमीन चाहिए होती है तो किसी को पिता या माता के देहांत के बाद जमीन का बंटवारा करवाना होता है। बहुत से लोगों को अपनी बहनों के नाम हटवाने होते हैं जो पिता या माता के देहांत के बाद राजस्व विभाग द्वारा जोड़ दिए जाते हैं। बहुत से लोगों का बंटवारा हो चुका होता है लेकिन शेष भूमि का बंटवारा करवाना होता है।
माता-पिता के द्वारा अपनी जमीन का बंटवारा | Pusteni jamin ka batwara kaise kare
पिता-माता अपने जीवन काल में अपनी जमीन का बंटवारा अपने पुत्र-पुत्रियों में करना चाहते हैं तो, इसके लिए पिता स्वयं आवेदक होंगे अर्थात पिता को आवेदन देना होगा कि वह किस प्रकार अपने पुत्रों में जमीन का बंटवारा करना चाहते हैं। आवेदन में यह स्पष्ट करना होगा कि वह किस पुत्र को कितनी जमीन देना चाहते हैं। तथा कितनी जमीन स्वयं के नाम पर या अपनी पत्नि या पुत्रियों के नाम पर करना चाहते हैं। इसके सांथ माता-पिता के द्वारा एक शपथपत्र भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
पिता या माता की मुत्यु के बाद Jamin ka batwara kaise kare?
मध्यप्रदेश शासन का नियम है कि माता या पिता की मृत्यू के उपरांत उनके वारसानों की जानकारी उनकी जमीन के खसरे में दर्ज कर दी जाती है। पिता की मृत्यु के बाद उनके पुत्र, पुत्रियों व पत्नि की जानकारी उक्त खाते में दर्ज की जाती है। माता की मृत्यु के बाद उनके पुत्र और पुत्रियों की जानकारी ही उनकी भूमि पर दर्ज की जाती है। यह सभी को ज्ञात है कि पिता की संपत्ति में पुत्रियों का भी हिस्सा होता है। लेकिन हमारे यहां 95 प्रतिशत पुत्रियां अपने पिता की जमीन में से हिस्सा नहीं लेती हैं। इसके लिए मध्यप्रदेश शासन ने हकत्याग की व्यवस्था की है जिसके माध्यम से पुत्रियां अपना हिस्सा अपने एक भाई अथवा अन्य भाईयों के पक्ष में त्याग सकती हैं। यदि बहनों के नाम खसरे में हैं तो बंटवारा पूर्व हकत्याग करवाना उचित रहता है।
हकत्याग एक पंजीकृत दस्तावेज होता है जो रजिस्ट्रार के माध्यम से होता है। यह एक प्रकार से रजिस्ट्री ही होती है। हकत्याग में 0.5 प्रतिशत जमीन के मूल्य की रजिस्ट्री शुल्क लगती है। उक्त रजिस्टर्ड दस्तावेज को अपनी तहसील के तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत कर हकत्याग करने वाले व्यक्ति का नाम खसरे से हटाने का आदेश प्राप्त किया जाता है।
हकत्याग के पश्चात बटवारे का आवेदन बनाकर तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। जिससे समय और पैसों की बचत होती है।
शेष बची Jamin ka batwara kaise kare | Batwara nama
जमीन का बंटवारा एक बार हो जाने के बाद बहुत बार यह होता है कि कुछ जमीन पिता या माता के नाम पर छोड़ दी जाती है। पिता माता के द्वारा यह बोल दिया जाता है कि उक्त जमीन हमारे मरने के बाद अपने बड़े बेटे या बेटी को दे दी जाये। ऐंसी स्थिति में माता पिता के द्वारा रजिसटर्ड बसीयत किया जाना उचित रहता है। लेकिन बसीयत नहीं हो पाती तो उसको बंटवारा के माध्यम से किया जाता है। इसके लिए सबसे पहले पूर्व बटवारे की जानकारी एकत्रित की जाती है जिसे बंटवारा नामा बोलते हैं। पूर्व में हुए बंटवारे का कोई सर्टिफाइड दस्तावेज ही बंटवारा नामा होता है। यदि बंटवारा नामा नहीं मिलता तो पारिवारिक व्यवस्था-पत्र तैयार करवा लिया जाता है।
इसमें पूर्व हुए बटवारे की जानकारी होती है और वर्तमान में जो बंटवारा किया जाना है उसके लिए सहमति सभी पुत्र पुत्रियों द्वारा दी जाती है। पारिवारिक व्यवस्थापत्र को नोटरी के माध्यम से सत्यापित किया जाता है। पारिवारिक व्यवस्था-पत्र को आवेदन के सांथ संलग्न कर तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इसके बाद तहसीलदार सभी पक्षकारों को सुनकर आदेश पारित करता है।
बंटवारा के लिए आवश्यक दस्तावेज
आवेदक का आधार कार्ड
आवेदित भूमि का सर्टिफाइड खसरा, नक्शा, जमाबंदी।
आवेदन फॉर्म
तलवाना
शपथ-पत्र
चालान 100 रूपये का
जमीन के बटवारे के नियम | Batwara ke niyam
जमीन के बटवारे का नियम यह है कि सभी खातेदारों को खाते में दर्ज हिस्से अनुशार जमीन प्राप्त होना चाहिए। लेकिन कोई अपने हिस्से से कम रखना चाहता है तो वह इस हेतु तहसीलदार के समक्ष शपथपत्र प्रस्तुत कर सकता है कि वह बटवारे में प्राप्त जमीन से संतुष्ट है उसे प्राप्त हिस्से से कोई आपत्ति नहीं है। इस स्थिति में तहसीलदार असमान हिस्से में भी बंटवारा कर देते हैं। बंटवारा नियम अनुशार पिता और माता अपने जीवन काल में जमीन का बंटवारा करते हैं तो उनको अपने हिस्से में भी कुछ जमीन शेष रखनी होती है। माता पिता केपल अपने पुत्रों में बंटवारा कर रहे हैं तो उनकी पुत्रियों को सहमति के रूप में तहसीलदार के समक्ष शपथ पत्र प्रस्तुत करने होंगे।
ऐंसा ही यदि माता पिता केवल पुत्रियों को जमीन दे रहे हों तो पुत्रों को सहमति देनी होगी। यदि ऐंसा नहीं होता तो बंटवारा विवादित माना जाता है। इस स्थिति में सभी पक्षकारों को तहसीलदार के समक्ष सभी साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे कि वह उक्त बटवारे से क्यों सहमत नहीं है। पर्याप्त साक्ष्य न होने की स्थिति में प्राय: तहसीलदार पिता या माता के आवेदन अनुशार ही बंटवारा आदेश करते हैं।
जमीन के बटवारे की प्रक्रिया | Jamin ka sarkari batwara
जमीन के बंटवारा के लिए मध्यप्रदेश शासन के द्वारा समय समय पर अभियान चलाये जाते हैं। लेकिन इन अभियान की जानकारी लोगों को नहीं रहती और रहती भी है तो आवेदन दर्ज नहीं किये जाते। मध्यप्रदेश शासन ऑनलाइन बंटवारा आवेदन करने की सुविधा RCMS पोर्टल के माध्यम से देती है लेकिन इसके जरिये आवेदन करना बहुत मुश्किल होता है। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका है नीचे दिये गये आवेदन को भरकर अपनी तहसील के लोकसेवा केन्द्र में जमा करें। यहां आपका आवेदन तुरंत दर्ज हो जाता है। आवेदन दर्ज होना आवश्यक है दर्ज दिनांक के बाद एक निश्चित समय में तहसील से आदेश हो जाता है।
तहसील में लोग आवेदन दे देते हैं तो वहां दर्ज नहीं होता जिस्से वहां कोई समय सीमा नहीं होती। लोकसेवा केन्द्र में आपको आवेदन फीस के रूप में 100 रूपये तथा 40 रूपये लोकसेवा केन्द्र की फीस लगेगी। फॉर्म जमा करने के एक हफ्ते के अंदर आपको अपनी तहसील के तहसीलदार के समक्ष उक्त आवेदन की एक कॉपी व लोकसेवा केन्द्र की रसीद लेकर प्रस्तुत होना होगा। जिसे आपकी पहली पेशी माना जायेगा। इसके बाद अगली पेशी हेतु तहसीलदार उस जमीन से जुड़े सभी हितबद्ध पक्षकारों को सूचना भेजेंगे।
यह पक्षकार आवेदक के पुत्र, पुत्रियां व पत्नि होगी। उक्त पक्षकारों की सहमती होने पर पक्षकारों से सहमति पत्र या शपथ पत्र लिये जाते हैं। उक्त बटवारे के संबध में पटवारी से रिपोर्ट ली जायेगी। बंटवारे के संबंध में एक नोटिस गांव में जारी किया जायेगा जिसे इश्तहार कहते हैं। इश्तहार में गांव के लोगों को सूचना दी जाती है कि किसी व्यक्ति को इस बंटवारे से कोई आपत्ति हो तो वह तहसीलदार के समक्ष उक्त दिनांक तक अपने समस्त दस्तावेज लेकर उपस्थित हों।
यदि उक्त बटवारे के संबंध में किसी व्यक्ति को कोई आपत्ति नहीं होती और संपूर्ण जानकारी से तहसीलदार संतुष्ट रहते हैं तो उक्त बंटवारा स्विकृत कर आदेश पारित कर दिया जाता है।
निश्कर्ष
जमीन का बंटवारा वैसे तो एक आसान प्रक्रिया है लेकिन यह बहुत विवादित भी है। यह विवादित तब हो जाती है जब माता-पिता की मृत्यु जमीन के बंटवारे के पूर्व हो जाती है। माता-पिता द्वारा अपनी संपत्ति की कोई वसीयत तैयार नहीं की गई हो। वैसे तो बहनों को हिस्सा मिलना चाहिए लेकिन जब वह अपने हिस्से की बात करती हैं तो बंटवारा विवादित हो जाता है। इसलिए बंटवारा पिता व माता के जीवन काल में किया जाना उचित रहता है। हमें हर प्रकार से विवाद की स्थिति से बचना चाहिए। माता-पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनके रहते जमीन का बंटवारा मात्र कागजी तौर अपने पुत्र-पुत्रियों में कर दें। जिससे बाद में परिवार में कोई विवाद की स्थिति उत्पन्न न हो।
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जमीन का आपसी बंटवारा कैसे करें?
जमीन के बंटवारा कराने हेतु आपको एक आवेदन बनाकर अपनी तहसील के लोकसेवा केन्द्र में देना चाहिए। इसके बाद सभी पक्षकारों को अपनी सहमती हेतु शपथपत्र सहित तहसीलदार के समक्ष एक हफ्ते के अन्दर प्रस्तुत होना चाहिए।
बंटवारा का नियम क्या है?
बटवारे का नियम सामान्यत: यही है कि सभी वारिसों को अपने हिस्से की जमीन समान हिस्सों में प्राप्त होनी चाहिए। लेकिन ऐंसा होता नहीं है कम ज्यादा जमीन का बंटवारा भी हो जाता है।
पुश्तैनी जमीन का बंटवारा कैसे करें MP?
पुश्तैनी जमीन का बंटवारा करने हेतु आप जैसा बंटवारा चाहते हैं वैसा आवेदन बनाकर तहसील के लोकसेवा केन्द्र में प्रस्तुत करें। इसके पश्चात तहसीलदार के समक्ष पेश हों।
जमीन का बंटवारा कौन करता है?
जमीन का बंटवारा मध्यप्रदेश में राजस्व विभाग के द्वारा तहसील स्तर पर तहसीलदार द्वारा किया जाता है।
माँ की संपत्ति में किसका अधिकार होता है?
मां की संपत्ति में उसके पुत्र, पुत्रियों का हिस्सा होता है पति का नहीं।
बेटी को बेदखल कैसे करें?
बेटी को बेदखल करने हेतु हकत्याग करवाना होता है। यह एक रजिस्टर्ड दस्तावेज है। जिसकी रजिस्ट्री शुल्क संपत्ति के मूल्य का 0.5 प्रतिशत होता है।
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